Wednesday, September 23, 2009

एक और बगावती युवक मिला

सिस्टम में बहुत सारी खामिया है। ये बात सभी जानते है। इस पर चर्चा भी करते है। लेकिन इसमे खामियों को ख़तम करने करने की कोई ठोस पहल नही करता। और ये बात तय है, जब तक कोई इसकी ठोस पहल नही करेगा, इस सिस्टम के विरूद्व जाकर बगावत नही करेगा, तब तक बगावती पौध नही पनपेगी। और बगैर बगावती पौध के जवान होने तक ये सिस्टम नही बदलने वाला। यहाँ एक बात बता दू की बगावती तेवरों को कुचलने वाला हमारा बेईमान तंत्र बड़ा मजबूत है। यही वजह है की यहाँ बगावती तो बहुत है लकिन उन्हें फ़ौरन कुचल दिया जाता है। ऐसे ही एक बगावती युवक से मेरा सामना एक पुलिस चोकी में हुआ। उसकी छोटी सी तस्वीर बयां करता हूँ।

युवक की उमर करीब बाईस तेईस साल की रही होगी। आँखों में खून उतरता दिखता था। उसके होंठो से खून का एक थक्का चिपका हुआ, यह बताने के लिए खाफी था की उसे पीटा गया है। युवक वर्दी पहने अधिकारी के सामने चुपचाप खड़ा है। युवक के पास ही एक और व्यक्ति कुर्सी पर बैठा है। उसकी टी शर्ट के बटन टूटे हुए है। साफ़ था की युवक का झगडा कुर्सी पर बैठे व्यक्ति से हुआ है। मै भी वही कुर्सी पर बैठ गया।

युवक अपनी बात कह रहा था। आप लोग मुझे पागल समझ रहे हो, लेकिन में पागल नही हूँ। ये बिजली कर्मचारी जनता की नोकरी करता है, या अमीरों की इससे पूछो जरा, मेरी माँ ने पचास बार इनके पास जाकर अर्जी दी है, मीटर चल नही रहा है, जुरमाना लगा देंगे तो हम लोग कहा से देंगे। मेरी माँ बीमार रहती है, वह कहा कहा धक्खे खाती डोलेगी। सुबह जब ये कर्मचारी गाव में आया था तो, मैंने इससे कहा की हमारा मीटर बदल दो, मुझसे कहा की जहा से ख़रीदा है वही बदलवाओ।

युवक बोले जा रहा था...... : जब इस आदमी ने मेरी नही सुनी तो मैंने इसका गिरेबान पकड़ लिया। और इसे ठोकना शुरू कर दिया, लेकिन में इससे कमजोर हूँ, इसीलिए इसने मुझे बहुत मारा। इसके खिलाफ अभी मुक़दमा दर्ज करो। जेल में डालो।

युवक की बात को काटते हुए पुलिस अधिकारी : ओये डट जा तेरे कहने ते मैं मुकदमा दर्ज करूँगा, साले तन्ने सरकारी कर्मचारी पर हाथ उठाया है। तन्ने सब ते पहले भीतर दूंगा। जा परे बाहर बैठ जा।

इतना सुनकर युवक बोला : आप जानते नही ये बिजली वाले कितने ख़राब होते है। बगैर रिश्वत लिए कोई काम नही करते। पुरे हरयाणा में ये रिश्वत लेने के मामले में सबसे ज्यादा बदनाम है। पुलिस : ओये यहाँ पाठ न पढ़ा चल जाकर बाहर बैठ जा। अभी यहाँ बात चल ही रही थी की युवक की माँ हाथ में एक थैला लिए चोकी में दाखिल हुयी। आते ही उसने देखा की उसके बेटे को मार पीट रक्खा है, तो वह बिलख पड़ी, मेरे बीमार बेटे को क्यों मारा साब, ये तो दिमाग से कमजोर है। ये थैले में है इसकी मेडिकल रिपोर्ट, चाहे तो देख लो। युवक भी माँ से बोला : मम्मी इसे बंद करवाना है, हम लोग समझोता नही करेंगे।

इतना सुनते ही : पुलिस वाला गरम हो गया की अभी बताता हूँ, जे ई साब एक दरखास लिखो, इसके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज करता हूँ। साला सरकारी आदमी पर हाथ उठाता है।

युवक की माँ यह सुनकर दोनों हाथ जोड़े विनती करने लगी की साब मेरा बेटा दिमाग से कमजोर है, कुछ भी मत लिखो, उसका तो सिर्फ़ इतना जुर्म है की उसे अपनी माँ की दुख तकलीफ नही देखि जाती। इसीलिए उसने ये अपराध कर डाला। पर साब मेरा बेटा तो सच मुच दिमाग से कमजोर है। अगर वो ऐसा न होता तो सड़क पर जाती एक ऑटो वाले की बेटी की इज्जत की खातिर बदमाशो की सो लात नही खाता। अगर मेरा ये पागल बेटा नही होता तो उस दिन वो दरिन्दे उस मासूम के मॉस को नोच डालते। तब तुम उन बदमाशो का क्या कर लेते। बस फासी से ज्यादा तो कुछ न कर पाते।


उस माँ का इतना कहना ही काफी था उस पुलिस अधिकारी के लिए। फीर तो सभी बिजली वाले उठे और चल दिए पर पुलिस वाले ने कहा की अगर इस महिला का मीटर नही बदला कल तक,,,,,, .....तो अपनी खैर मनाना।

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